बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है ? बसंत पंचमी का महत्व

 सरस्वती पूजा की शुरुआत कैसे हुई? बसंत पंचमी क्यों मनायी जाती है



बसंत पंचमी के दिन ज्ञान और वाणी की देवी मां सरस्वती की पूजा-आरक्षण करने का विधान बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का दर्शन हुआ था। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को पूरे भारत में धूम धाम से मनाया जाता है तो आइए दोस्तों जानते हैं कि हर साल बसंत पंचमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है और इसकी शुरुआत और कैसे होती है

बसंत पंचमी त्योहार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है यह हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो भारत में हर साल मनाया जाता है इस श्रीपंचमी, ज्ञान पंचमी के नाम से भी जाना जाता है जिसे हिंदू धर्म पूरे वर्ष मनाता है 6 ऋतु में ऋतु आती है, बसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा हर का मौसम, शरद ऋतु, ऋतु का मौसम और शिशिर ऋतु सभी ऋतुओं का राजा कहा जाता है जिस दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है, उस दिन बसंत पंचमी वर्ष इसी रूप में मनाया जाता है। बसंत ऋतु में बसंत पंचमी 14 फरवरी 2024 रविवार का दिन मनाया जाएगा 

 बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है ?

धार्मिक मान्यता के आधार पर इस दिन माता सरस्वती प्रकट हुई थीं इसलिए बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. मां सरस्वती को  बुद्धि  और विद्या की देवी माना जाता है बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती से विद्या, बुद्धि, कला एवं ज्ञान का वरदान माँगा जाता है बसंत पंचमी के दिन लोगो को पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए और फूलों से देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। पीले पकवान बनाते और बसंत पंचमी के दिन लोग पतंग उड़ाते हैं  हैं। हिंदू धर्म में पीले रंग को शुभता एवं समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। 

बसंत पंचमी को मनाने की शुरुआत कैसे हुई?



ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी का ऐतिहासिक महत्व इस तथ्य में निहित है कि दुनिया के निर्माता भगवान ब्रह्मा ने मनुष्य और जीवित चीजों का निर्माण किया था। ब्रह्मांड को विभाजित करने के बाद, जब उन्होंने दुनिया को देखा, तो उन्हें चारों ओर केवल परित्यक्त लोग दिखाई दिए। दृश्य शांत लग रहा था, मानो कोई बोल नहीं रहा हो। यह सब देखने के बाद भी ब्रह्मा जी संतुष्ट नहीं हुए तो ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से अनुमति ली और अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का। कमंडल से हो रही वर्षा से धरती हिलने लगी और तेजोमय शक्ति के रूप में चार भुजाओं वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। इस महिला के एक हाथ में वीणा, दूसरे हाथ में दूल्हे का सिक्का और दूसरे हाथ में किताब और माला है। तब ब्रह्मा जी ने स्त्री से वीणा बजाने को कहा और देवी के वीणा बजाने से संसार के सभी जीव-जंतुओं को वाणी मिल गई। इसके बाद से देवी को माता सरस्वती कहा जाता है। देवी ने शब्दों के अलावा ज्ञान और बुद्धि भी दी। इसीलिए बसंत पंचमी के दिन घर में मां सरस्वती का विशेष उत्सव मनाया जाता है।

बसंत पंचमी का महत्व 

बसंत पंचमी फूलों और नई फसल के आगमन का त्योहार है, इसलिए ऋतुराज बसंत का बहुत महत्व है। इस समय बगीचे में सरसों उग रही है, पीले फूल और आम के पेड़, चारों ओर हरियाली और गुलाबी सर्दी मौसम को बेहतर बनाती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह समय अत्यंत सुखद एवं स्वास्थ्यवर्धक है। इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षियों को भी नई स्फूर्ति मिलती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह त्योहार बहुत खास है।

बसंत पंचमी पर हम क्या करते हैं?

इस त्यौहार के दौरान लोग पवित्र नदी में स्नान करते हैं और बसंत आदि करते हैं। और यह व्यवस्थित है. बसंत पंचमी का दिन बच्चों की शिक्षा के लिए शुभ माना जाता है। यह दिन शादी-विवाह के लिए बहुत ही भाग्यशाली माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से यह दिन ग्रह प्रवेश और नए कार्य की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है। बसंत पंचमी के दिन से ही होली की शुरुआत मानी जाती है। इसी दिन से होलिका दहन के दिन लकड़ियां एकत्र करना प्रारंभ किया जाता है।

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